Home उत्तर प्रदेश भक्ति, त्याग, व वैराग्य के आदर्श है भरत : आचार्य विनय

भक्ति, त्याग, व वैराग्य के आदर्श है भरत : आचार्य विनय

भक्ति, त्याग, व वैराग्य के आदर्श है भरत : आचार्य विनय

  • त्याग व बलिदान की कथा है रामचरित मानस : सियाशरण

राजापाकड (कुशीनगर) तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवाराजापाकड़ के सपही बरवा टोला में विगत छह वर्षों से आयोजित होने वाले राधा अष्टमी महोत्सव के निमित्त आयोजित रामकथा के सातवें दिन बुधवार की रात कथावाचक आचार्य विनय पांडेय ने भरत चरित्र का वर्णन किया।

कथावाचक ने कहा कि भरत को राजगद्दी व राम को चौदह वर्ष का वनवास दे दिया गया। लेकिन भरत ने राजगद्दी को ठुकरा दिया और राम जी के खड़ाऊ को सिंहासन पर विराजमान कर अनुशासन में राज्य का देखरेख करने लगे। राम लक्ष्मण को समझाते हुए बोले भरत जी को राजगद्दी का मद नहीं हो सकता चाहे दुनिया में कोई भी विपरीत परिस्थिति क्यों न हो। कथावाचक ने कहा कि ऐसे चरित्रों के कारण रामचरित मानस समाजिक, राजनैतिक, धार्मिक सद्भावना का दर्पण है। यह आज के परिवेश में भी शिक्षाप्रद है।

व्यास पीठ का पूजन अनिल सिंह ( अध्यापक) व जय प्रकाश नारायण पाण्डेय ने किया। मुख्य अतिथि सियाशरण पांडेय ने कहा कि राम कथा त्याग व बलिदान की कथा है इससे शिक्षा लेने की जरूरत है। डा. अमरेश पांडेय (बिहार) उमेश पांडेय, राम ध्यान पांडेय, विद्या गुप्ता, प्रेम जी, जगत गुप्ता,राजीनंद प्रसाद,बालदेव प्रसाद, रामाज्ञा गुप्ता, अर्जुन यादव आदि उपस्थित रहे।