हाथरस वाले बाबा ने कहाँ से लाया आपार संपत्ति? क्या है इसकी कहानी

नई दिल्ली। भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरजपाल सिंह के करोड़ों के साम्राज्य का परत दर परत खुलासा हो रहा है। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के पास यूपी के कई शहरों में अकूत संपत्ति है। यहां करोड़ों की जमीन पर उनके भव्य आश्रम बने हुए हैं और आश्रमों को चलाने में लाखों रुपये भी खर्च होते हैं।
नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के आश्रम यूपी के कई शहरों में मौजूद हैं। इन आश्रमों में रोजाना हजारों भक्त सत्संग और दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आश्रम में भक्तों के रहने से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था की जाती है। आश्रमों में बाबा के सेवक रोजाना हजारों भक्तों को उनके कथित चमत्कारों की कहानियां सुनाते और दिखाते थे, ताकि बाबा के अनुयायियों की उन पर आस्था बनी रहे।
हालांकि इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह है कि नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल इन आश्रमों को कैसे चलाता था? इन आश्रमों को चलाने के लिए पैसा कहां से आता था? हवलदार से भोले बाबा बने सूरजपाल ने इतनी संपत्ति कहां से जुटाई? और इस भोले बाबा के ठिकाने कहां मौजूद हैं?
- कासगंज के पटियाली में आश्रम
- मैनपुरी में भव्य आश्रम
- संभल में प्रवास कुटिया के नाम से आश्रम
- आगरा के केदारनगर में घर
- नोइडा में आश्रम
पिछले साल बदला गया था ट्रस्ट का नाम
इन सभी सवालों के जवाब देने से पहले हम आपको सूरजपाल से अपना नाम बदलकर नारायण साकार हरि रखने वाले इस भोले बाबा के ट्रस्ट के बारे में कुछ अहम जानकारी देते हैं। दरअसल, बाबा ने 2023 में अपने ट्रस्ट का नाम बदला था। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के ट्रस्ट का नाम अब श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट है, जिसे पहले मानव सेवा आश्रम के नाम से जाना जाता था।
साल 2023 में इसमें बदलाव किया गया और इस ट्रस्ट की जगह श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट ने ले ली। वहीं, 2023 में ही पटियाली के रजिस्ट्री ऑफिस में इस ट्रस्ट से जुड़ी कुछ रजिस्ट्री हुई, तभी बाबा 12 साल बाद वहां गए।
दान में मिली आश्रमों की जमीन
कहा जाता है कि जिन जमीनों पर बाबा के आश्रम मौजूद हैं, उनमें से ज्यादातर जमीनें दान में मिली जमीनें हैं, जिन्हें भोले बाबा में आस्था रखने वाले लोगों ने उनके मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट को दे दिया था। लेकिन वर्ष 2023 में जैसे ही सूरज पाल उर्फ भोले बाबा ने जमीन अपने ट्रस्ट के नाम दर्ज कराई, उन्होंने तुरंत ट्रस्ट का नाम बदल दिया, ताकि भविष्य में करोड़ों रुपये की इन संपत्तियों पर उनका ट्रस्ट अपनी पकड़ मजबूत कर सके।
बाबा के सत्संग की जिम्मेदारी हम समिति के पास
इनमें कासगंज और मैनपुरी में आश्रम कई बीघा जमीन पर बने हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही है। इतना ही नहीं, अलग-अलग शहरों में बाबा नारायण साकार हरि के सत्संग के लिए दान नहीं मांगा जाता। इनके आयोजन की जिम्मेदारी बाबा की 'हम समिति' के पास होती है।
जहां भी बाबा का सत्संग होना होता है, वहां सबसे पहले हम समिति बनाई जाती है। वह समिति सीधे बाबा के संपर्क में रहती थी। सत्संग का पूरा खर्च 'हम समिति' उठाती है। इस 'हम समिति' को बाहर से दान लेने की मनाही है। पंडाल में जाते ही बाबा सबसे पहले इस समिति से मिलते हैं, फिर सत्संग होता है।
बाबा के सत्संग के लिए समिति के माध्यम से कोई पंडाल टेंट लगाता है, कोई खाने-पीने का प्रबंध करता है, तो कोई स्वयंसेवकों का प्रबंध करता है।