क्यों नही दे रहा था रावंण लक्ष्मण को शिक्षा क्या है पुरा रहस्य

एक बार की बात है जब भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण को बोले कि लक्ष्मण आप जाइये रावंण के कुछ शिक्षा लिजिये तो लक्ष्मण जी ने काहा भईया रावंण जैसे राक्षस जो माता सीता का अपहरण कर के ले गया उससे क्या शिक्षा लेना तो भगवान राम ने कहा मेरे प्रिय अनुज शायद आप इस बात से अंजान है कि रावंण जैसा महान ज्ञानी व पंडित पुरे ब्रमांण्ड मे नही मिलेगा ।
यह बात सुनकर भगवान लक्ष्मण जी ने रावंण के सिर के तरफ जा खड़े हुये यह देखकर रांवण ने कहा क्या चाहते हो और मेरे सिर के तरफ क्यों खड़े हुये हो तो लक्ष्मण ने बोला मुझे आपसे ज्ञान लेना है यह सुनकर रावंण कुछ नही बोला तो लक्ष्मण जी को गुस्सा आ गया और बोले मृत्य सईया पर सोये हो और मै आपसे शिक्षा मांग रहा हूॅं और आप शिक्षा देने के वजाये चुप है।
यह बोलकर लक्ष्मण जी अपने भाई श्री राम जी के पास खड़े हो गये और बोले भईया आप तो बोल रहे कि रांवण ज्ञानी है लेकिन वह तो कुछ बोल ही नही रहा है भगवान राम ने जब लक्ष्मण से बोला लक्ष्मण आप खडे कहां थें तो लक्ष्मण ने बोला की मै सिर के तरफ खडा था ।
यह सुनकर भगवान राम ने कहा लक्ष्मण अगर हमे किसी शिक्षा ग्रहण करना होता है तो हमे उसके चरणों में सदद्भावना पुर्वक बैठकर शिक्षा ग्रहण करना पडता है। लक्ष्मण जी ने बिना देर किये रावंण के पैरो के तरफ जा खडे हुये तो रांवण ने बोला क्या चाहते हो लक्ष्मण मुझसे तुम तो लक्ष्मण ने बोला मुझे शिक्षा ग्रहण करना है।
1. अहंकार का पाठ
रावण ने सबसे पहले कहा, “अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। मैंने अपनी शक्ति और ज्ञान का दुरुपयोग किया और यही मेरे विनाश का कारण बना। याद रखो, जो व्यक्ति अहंकारी होता है, वह अंततः खुद को ही नष्ट कर लेता है।”
2. समय का महत्व
फिर रावण ने कहा, “किसी भी अच्छे कार्य को करने में देरी मत करो। समय का सदुपयोग करना बहुत जरूरी है। मैंने अवसरों को गंवाया और इसका खामियाजा भुगता। हमेशा समय की कदर करना।”
3. स्त्री का सम्मान
उसने एक गहरी सांस ली और आगे कहा, “मैं जानता हूँ कि मैंने माता सीता का अपहरण किया, लेकिन इसके दुष्परिणाम बहुत भयानक थे। मैं तुमसे यही कहता हूँ कि किसी पराई स्त्री पर बुरी नजर मत डालो। यह तुम्हारे और समाज के लिए ठीक नहीं है।”
4. गोपनीयता का महत्व
आखिर में, रावण ने कहा, “अपने राज किसी से साझा मत करो। मैंने बहुत से लोगों को अपने राज बता दिए थे, और यही मेरी गलती थी। गोपनीयता में सुरक्षा होती है।”
लक्ष्मण की प्रतिक्रिया
लक्ष्मण ने रावण की बातें ध्यान से सुनीं, उसकी आँखों में आँसू थे। उसने देखा कि एक शक्तिशाली राक्षस अपने जीवन के अंत में ज्ञान और सीख के साथ विदा हो रहा था। रावण ने कहा, “याद रखो, लक्ष्मण, ज्ञान का कोई समय नहीं होता। चाहे तुम कितने भी महान क्यों न हो, सच्चाई हमेशा महत्वपूर्ण होती है।”
इस प्रकार, रावण ने अपने अंतिम क्षणों में लक्ष्मण को जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जो सदियों तक सुनाई जाएंगी। रावण का ज्ञान, उसकी गलतियों से उपजी थी, और यह संदेश हमेशा जीवित रहेगा।