विहार में लगातार गिर रहे पुल को लेकर मामाला पहुंचा कोर्ट में

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह भी मांग की गई है कि एक कुशल स्थायी निकाय का गठन किया जाए, जिसमें संबंधित क्षेत्र के उच्च स्तरीय विशेषज्ञ शामिल हों या बिहार में सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों की सतत निगरानी के साथ-साथ मौजूदा पुलों की सेहत पर एक डेटाबेस तैयार किया जाए।
बिहार में पुल लंबे समय तक नहीं टिकते। बिहार में एक के बाद एक पुल गिर रहे हैं। कहीं पुराने पुल तो कहीं निर्माणाधीन पुल गिर रहे हैं। पुलों के गिरने से करोड़ों रुपये पानी में बह जाते हैं और लोगों को भी काफी असुविधा होती है। बिहार में लगातार पुलों के गिरने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत में यह याचिका वकील ब्रजेश सिंह ने दायर की है।
कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार में पुलों के बेहद दुर्भाग्यपूर्ण पतन के संबंध में इस याचिका के दाखिल होने तक अकेले अररिया जिले में 6 पुलों के गिरने की खबर है, जिनमें से अधिकांश नदियों पर बने पुल हैं। इस याचिका में बिहार के सिवान, मधुबनी, किशनगंज और अन्य जिलों की घटनाओं का जिक्र किया गया है।
मामले में 6 सरकारी अधिकारी पक्षकार हैं
याचिका में 6 सरकारी अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है। इनमें से 4 अधिकारी बिहार के और 2 अधिकारी दिल्ली के हैं। मुख्य सचिव (बिहार राज्य), अपर मुख्य सचिव (सड़क निर्माण विभाग, पटना), अपर मुख्य सचिव (सड़क निर्माण विभाग, पटना), अध्यक्ष (बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड), सचिव (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, दिल्ली) और अध्यक्ष (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, दिल्ली) को पक्षकार बनाया गया है।
वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मामले में उचित आदेश या निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। साथ ही कहा गया है कि विरोधियों, खासकर बिहार राज्य को निर्देश दिया जाए कि वे सभी मौजूदा कमजोर पुलों और निर्माणाधीन पुलों का उच्चतम स्तर पर संरचनात्मक ऑडिट कराएं और उन्हें ध्वस्त करें।
पुलों की सेहत पर डेटाबेस बनाने की भी मांग
याचिका में बिहार में पुराने, बने और निर्माणाधीन पुलों की रियल टाइम निगरानी के लिए उचित नीति या तंत्र बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसके अलावा बिहार के क्षेत्र में पड़ने वाले पुलों के लिए सेंसर का उपयोग करके पुलों की मजबूती की निगरानी के लिए अनिवार्य दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह भी मांग की गई है कि एक कुशल स्थायी निकाय के गठन का निर्देश दिया जाए, जिसमें संबंधित क्षेत्र के उच्च स्तरीय विशेषज्ञ शामिल हों या बिहार में सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों की लगातार निगरानी की जाए और राज्य के सभी मौजूदा पुलों की सेहत पर एक व्यापक डेटाबेस तैयार किया जाए।