17 जिले इस समय बाढ़ की चपेट में,घरों पर चल रहा बुलडोजर

Jul 16, 2024 - 11:54
17 जिले इस समय बाढ़ की चपेट में,घरों पर चल रहा बुलडोजर

सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से बलिया में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. कई घर सरयू नदी में समा गए हैं. लोग अपने घर खुद ही तोड़ रहे हैं, ताकि और घर प्रभावित न हों. इसके लिए वे बुलडोजर का भी सहारा ले रहे हैं. वे ईंट और अन्य सामग्री निकालकर किसी दूसरी जगह ले जा रहे हैं. ताकि वहां नया घर बना सकें. उत्तर प्रदेश के 17 जिले इस समय बाढ़ की चपेट में हैं. कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है, जबकि कुछ जिलों में बाढ़ का पानी उतरने लगा है. राप्ती, शारदा, गंडक, घाघरा, सरयू, रामगंगा और गंगा नदियां उफान पर हैं. बलिया में हालात ऐसे हो गए हैं कि सरयू नदी लोगों के घरों को अपनी चपेट में ले रही है. इसलिए लोग अब अपने घर खुद ही तोड़ने को मजबूर हैं. यहां लोग अपने घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं. वे खुद ही घरों को तोड़ रहे हैं और ईंट और अन्य सामग्री दूसरी जगह ले जा रहे हैं. लोग ईंटों को अपने साथ ले जा रहे हैं, ताकि उनका इस्तेमाल दूसरी जगहों पर मकान बनाने में किया जा सके।

बांसडीह तहसील के अंतर्गत टिकुलिया और भोजपुरवा गांव में यह नजारा देखने को मिल रहा है। सरयू नदी के कारण यहां के लोगों की हालत दयनीय हो गई है। कई घर पानी में डूब गए हैं। बाकी घर भी इसी तरह बह न जाएं, इसके लिए लोगों ने अपने मकानों को तोड़ना शुरू कर दिया है। बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने बताया कि यहां से जा रहे परिवारों के रहने की व्यवस्था की जा रही है। उनका जो भी नुकसान हुआ है, उसकी जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। ताकि नुकसान का मुआवजा दिया जा सके।

 उन्होंने बताया कि लेखपाल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में अब तक 13 घर ध्वस्त होने की बात कही गई है। प्रशासन पर साधा निशाना भोजपुरवा और टिकुलिया में रहने वाले तमाम ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन बाढ़ कटान को लेकर कई दावे करता है। लेकिन समय आने पर प्रशासन के सारे दावे फेल हो जाते हैं। फिलहाल हम लोग सरयू नदी में विलीन हो रहे हैं। कई लोगों के घर बह गए हैं। अब हम अपना सामान रिश्तेदारों और पड़ोसियों के यहां रख रहे हैं। हम अपने हाथों से ही घर तोड़ रहे हैं। ताकि ईंट-पत्थर का इस्तेमाल हो सके। प्रशासन के लोग आ रहे हैं, आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन अभी तक हमें कोई राहत नहीं मिली है। जिला प्रशासन कोरा आश्वासन दे रहा है।

क्या कहा ग्रामीणों ने?

भोजपुरवा गांव की पीड़ित महिला का कहना है कि हमने अपनी मेहनत की कमाई से जो घर बनाया था, उसे अब बुलडोजर से तोड़ना पड़ रहा है। हमारी कोई नहीं सुन रहा है। घर तोड़ने में भी हमारा पैसा खर्च हो रहा है। अब तक न जाने कितने हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि अधिकारी इस मामले में क्या कर रहे हैं?

विश्राम यादव ने कहा- हम क्या करें? घरों तक पानी पहुंच रहा है। मैं अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि एक बार वे यहां आकर आधा घंटा बैठें, तब उन्हें पता चलेगा कि हम कितनी परेशानी में हैं। हमें अपने बच्चों की चिंता है, इसलिए हमें घर तोड़ना पड़ रहा है। अगर हम घर नहीं तोड़ेंगे तो यह बाढ़ के पानी में बह जाएगा। तो फिर बताओ हम कहां जायेंगे?

न्यूज़ तरंग डेस्क न्यूज़ तरंग डेस्क: न्यूज तरंग एक भारतीय हिंदी न्यूज़ चैनल है, जो भारत के विभिन्न राज्यों में प्रसारित होता है। यह चैनल खबरों, वार्तालाप, साक्षात्कार, और विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। न्यूज तरंग ने अपने उद्दीपकों और निष्कर्षों के लिए एक नाम बनाया है और वर्तमान समाचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है। यह चैनल समाचार का एक व्यापक स्पेक्ट्रम कवर करता है और विभिन्न विषयों पर चर्चा करता है, जैसे कि राजनीति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, साहित्य, और सामाजिक मुद्दे।